किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण और उनकी आय में वृद्धि के उद्देश्य से भारत सरकार ने 2018 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) की शुरुआत की। यह योजना न केवल किसानों को बाजार में मूल्य अस्थिरता से बचाती है, बल्कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत उनके उत्पाद का उचित मूल्य सुनिश्चित करती है। पीएम-आशा योजना ने किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।
विज़न विकसित भारत की दिशा में पीएम आशा:
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) विज़न विकसित भारत के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, क्योंकि यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ – किसानों को सशक्त बनाता है। यह योजना वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने, और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में मदद कर रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। यह परिवर्तन राष्ट्रीय लक्ष्यों, जैसे गरीबी उन्मूलन, आय असमानता को कम करना, और सतत विकास को बढ़ावा देने में सहायक है। एक आत्मनिर्भर कृषि क्षेत्र एक विकसित भारत में महत्वपूर्ण योगदान करता है, जिससे PM-AASHA इस vision को साकार करने में एक महत्वपूर्ण आधार बनता है।
PM-AASHA का उद्देश्य और संरचना
PM-AASHA योजना का उद्देश्य किसानों के लिए सुनिश्चित मूल्य (MSP) और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। यह योजना प्रमुख कृषि उत्पादों, जैसे कि दालें, तेलबीज और कोकोनट के लिए मूल्य समर्थन सुनिश्चित करती है, जिससे किसानों को फसल काटने के बाद संकटपूर्ण विक्रय से बचने में मदद मिलती है। इस योजना को सितंबर 2018 में शुरू किया गया था, और 2024 में इसे और विस्तारित किया गया है।
इस योजना के तीन प्रमुख घटक हैं:
- मूल्य समर्थन योजना (PSS)
- मूल्य कमी भुगतान योजना (PDPS)
- बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)
मूल्य समर्थन योजना (PSS)
PSS योजना राज्य सरकारों के अनुरोध पर लागू की जाती है, और इसमें किसान को निर्धारित दालों, तेलबीजों और कोकोनट का समर्थन मूल्य मिलता है। 2024-25 सीजन से यह योजना राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए राज्य की उत्पादन क्षमता का 25% तक क्रय करने का अधिकार देती है।
मूल्य कमी भुगतान योजना (PDPS)
यह योजना तेलबीजों के लिए है, जिसके तहत किसानों को MSP और बाजार मूल्य के बीच का अंतर सरकार द्वारा सीधे भुगतान के रूप में दिया जाता है। यह योजना किसानों को बाजार में कीमतों के गिरने से बचाने और उनके लिए एक सुनिश्चित आय प्रदान करने में मदद करती है।
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)
यह योजना उन कृषि उत्पादों के लिए है जिनकी कीमतें मौसमी बदलावों के कारण अत्यधिक घट जाती हैं, जैसे कि टमाटर, प्याज और आलू। इसके तहत, सरकार उन राज्यों में मूल्य समर्थन प्रदान करती है जहां कीमतों में 10% से अधिक गिरावट आती है, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिले।
रबी 2023-24: ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
रबी 2023-24 के सीजन में पीएम-आशा योजना ने किसानों के जीवन में अभूतपूर्व सुधार किया।
- 6.41 लाख मीट्रिक टन (LMT) दलहन की खरीद, जिसका कुल मूल्य ₹4,820 करोड़ रहा।
- इस खरीद से 2.75 लाख किसानों को सीधा लाभ पहुंचा।
- खरीदी गई फसलों में 2.49 LMT मसूर, 43,000 MT चना, और 3.48 LMT मूंग शामिल थे।
- इसी प्रकार, 12.19 LMT तिलहन की खरीद से 5.29 लाख किसानों को ₹6,900 करोड़ का भुगतान किया गया।
सोयाबीन के बाजार मूल्य में गिरावट के कारण किसानों को हो रही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पीएसएस योजना के तहत 5.62 LMT सोयाबीन की खरीद की, जिससे 2.42 लाख किसानों को ₹2,700 करोड़ का लाभ मिला।
कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
पीएम-आशा योजना का सबसे बड़ा प्रभाव आत्मनिर्भर भारत की दिशा में दिखाई देता है।
- 2018-19 से 2024 तक:
- 195.39 LMT दलहन, तिलहन और कोपरा की खरीद।
- कुल MSP मूल्य: ₹1,07,433.73 करोड़।
- 99.30 लाख किसानों को इस योजना से प्रत्यक्ष लाभ मिला।
- सरकार ने 2024-25 सीजन में तूर, उड़द और मसूर जैसी दालों की खरीद सीमा हटा दी, जिससे इन फसलों के उत्पादन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
मूल्य अंतर भुगतान योजना (PDPS): किसानों के लिए नई राह
पीडीपीएस किसानों को उनकी उपज के लिए MSP और बाजार मूल्य के अंतर की भरपाई करती है। यह योजना पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने में सहायक है। इस योजना के तहत किसानों को उनकी फसल का 40% तक उचित मूल्य पर बेचने की अनुमति दी जाती है।
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS): अस्थिर कीमतों का समाधान
MIS योजना ने टमाटर, प्याज और आलू जैसे फसलों की कीमतों में अस्थिरता से निपटने में अहम भूमिका निभाई है।
- यह योजना उत्पादक और खपत वाले राज्यों के बीच मूल्य अंतर को समाप्त करने में सहायक है।
- केंद्र सरकार उत्पादन राज्यों से खपत राज्यों तक फसलों के भंडारण और परिवहन की लागत का भुगतान करती है।
2018-19 से अब तक का परिणाम:
2018-19 से अब तक, लगभग 195.39 लाख मीट्रिक टन दालें, तेलबीज और कोकोनट MSP मूल्य ₹1,07,433.73 करोड़ में खरीदी गई हैं, जिससे 99 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ है। यह आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि PM-AASHA योजना ने छोटे और सीमांत किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण
पीएम-आशा योजना ने छोटे और सीमांत किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं और बिचौलियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह योजना न केवल किसानों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है, बल्कि उन्हें कृषि में अधिक निवेश करने और उनकी उपज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा), भारत के किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। यह योजना न केवल कृषि क्षेत्र को सशक्त बना रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की नींव भी रख रही है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाकर और उन्हें बाजार की अस्थिरता से बचाकर यह योजना कृषि क्षेत्र में समृद्धि और स्थिरता ला रही है।
“पीएम-आशा: किसानों के सपनों को पंख और आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम।”