2019 में, भारत साइबर अटैक की सूची में तीसरे स्थान पर था, और 2022 में, डेटा उल्लंघनों में 30% की वृद्धि देखी गई। ऐसे परिदृश्य में, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत नियम आवश्यक हैं।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम (Draft Digital Personal Data Protection Rules) भारत में नागरिकों के डेटा की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। ये नियम डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (Digital Personal Data Protection Act, 2023) को प्रभावी बनाने के लिए तैयार किए गए हैं। इन नियमों का उद्देश्य तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में नागरिकों को सशक्त बनाना और डेटा दुरुपयोग, अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग और व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों जैसी चुनौतियों से निपटना है।
अधिनियम, 2023 और नया मसौदा
भले ही डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 पहले से मौजूद है, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए नियमों की आवश्यकता है। नए मसौदा नियम इस अधिनियम के संचालन का रोडमैप प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि कानून के दायरे में डेटा प्रबंधन और संरक्षण से संबंधित सभी प्रक्रियाएं स्पष्ट और सरल हों। मसौदा नियम मौजूदा प्रावधानों को लागू करने के लिए तंत्र और प्रक्रियाओं को स्पष्ट करते हैं और नागरिकों को उनके अधिकारों का बेहतर उपयोग करने के लिए सक्षम बनाते हैं।
नियमों के मुख्य उद्देश्य
नए मसौदा नियम नागरिकों को डेटा संरक्षण ढांचे के केंद्र में रखते हैं। ये नियम डेटा फिड्यूशियरी (Data Fiduciary) से यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा करते हैं कि व्यक्तिगत डेटा का प्रसंस्करण स्पष्ट और पारदर्शी तरीके से हो। नागरिक अपने डेटा को मिटाने, डिजिटल प्रतिनिधि नियुक्त करने और उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रक्रिया के माध्यम से अपने डेटा का प्रबंधन करने के लिए सशक्त हैं।
इसके अलावा, ये नियम नवाचार और विनियमन के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। जबकि बड़े डेटा फिड्यूशियरी पर अधिक जिम्मेदारियां हैं, छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए अनुपालन बोझ को कम रखा गया है।
डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण
इन नियमों को “डिजिटल बाय डिज़ाइन” दर्शन के साथ तैयार किया गया है। डेटा संरक्षण बोर्ड (Data Protection Board) डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और ऐप के माध्यम से शिकायतों का समाधान करेगा। नागरिकों को शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे पारदर्शिता और कार्यकुशलता सुनिश्चित होगी।
नियमों के अभाव में चुनौतियां
यदि भारत में डेटा संरक्षण के लिए ऐसा सख्त ढांचा न हो, तो नागरिकों का डेटा साइबर अपराधियों और अनधिकृत एजेंसियों के हाथों में जा सकता है। यह न केवल व्यक्तिगत गोपनीयता को खतरे में डाल सकता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक भरोसे पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
2019 में, भारत साइबर हमलों की सूची में तीसरे स्थान पर था, और 2022 में, डेटा उल्लंघनों में 30% की वृद्धि देखी गई। ऐसे परिदृश्य में, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत नियम आवश्यक हैं।
भारत को एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान
इन नियमों के माध्यम से, भारत अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करता है। वैश्विक मंच पर, यह नियम भारत को डेटा संरक्षण के लिए एक नए वैश्विक मॉडल के रूप में स्थापित करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा, ये नियम नागरिकों के अधिकारों को संरक्षित करते हुए स्टार्टअप और MSMEs को सशक्त करते हैं। यह भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र (Viksit Bharat) बनाने के लिए डिजिटल विकास के अगले चरण में ले जाता है। सरकार ने इन नियमों को तैयार करने में विभिन्न हितधारकों और जनता से परामर्श लिया। साथ ही, नागरिकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम 2025 भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित और समृद्ध बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह न केवल डेटा गोपनीयता को प्राथमिकता देता है, बल्कि नागरिकों और व्यवसायों के बीच विश्वास का निर्माण भी करता है। भारत इन नियमों के माध्यम से डिजिटल युग में एक नई पहचान स्थापित करने और वैश्विक नेतृत्व करने के लिए तैयार है।