समस्त भारतीय धार्मिक मत-पंथ विश्व में शांति चाहते हैं

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भारत में सनातन हिंदू धर्म तो अनादि एवं अनंत काल से चला आ रहा है परंतु बाद के खंडकाल में भारत में कई अन्य प्रकार के मत पंथ भी विकसित हुए हैं जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म आदि। भारत में विकसित विभिन्न मत पंथ मूलतः सनातन हिंदू संस्कृति का ही अनुपालन करते हुए दिखाई देते हैं और ऐसा कहा जाता है कि यह समस्त मत पंथ सनातन हिंदू धर्म की विभिन्न धाराएं ही हैं। भारत में विकसित मत पंथ सामान्यतः अपने दर्शन, कर्मकांड एवं सामाजिक ताने बाने के दायरे में अपने धर्म का अनुपालन करते हैं। भारत में हिंदू धर्म के सिद्धांतों पर चलने वाले नागरिकों की संख्या सबसे अधिक हैं एवं यह भारत का सबसे बड़ा धर्म है, जिसमें विभिन्न देवी देवताओं और पूजा प्रथाओं की एक विस्तृत प्रणाली शामिल है।

भारत में विकसित हुए मत पंथों में बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के आधार पर हुई है। यह शिक्षाएं मानव जीवन से दुःख और उसके कारणों को दूर करने के सम्बंध में हैं। बौद्ध धर्म में ध्यान, प्रेम एवं करुणा पर जोर दिया जाता है। बौद्ध धर्म में कर्मकांड के महत्व को भी रेखांकित किया गया है परंतु इसका उद्देश्य ईश्वर की आराधना नहीं बल्कि मोक्ष की प्राप्ति करने से है। भारत में ही विकसित दूसरे महत्वपूर्ण मत पंथ, जैन धर्म में अहिंसा, आत्म संयम, सत्य एवं ईमानदारी पर अधिक जोर दिया जाता है। जैन धर्म में ऐसा माना जाता है कि मोक्ष की प्राप्ति स्वयं के प्रयासों से ही सम्भव है। भारत में ही विकसित तीसरा महत्वपूर्ण मत पंथ है सिख धर्म जिसकी स्थापना श्री गुरु नानक देव जी ने की थी। सिख धर्म ईश्वर में विश्वास, सेवा, समानता एवं सत्यनिष्ठा पर आधारित है। सिख धर्म में ईश्वर की उपासना की जाती है परंतु यह उपासना कर्मकांड से परे हैं।

भारत की सनातन हिंदू संस्कृति को पूरे विश्व में अति प्राचीन संस्कृति के रूप में देखा जाता है। मूल रूप से भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति में आध्यात्म का विशेष महत्व है जिसके अंतर्गत “वसुधैव कुटुंबकम”, “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय”, “विश्व का कल्याण हो”, “किसी भी जीव का अहित न हो” जैसे भावों पर अमल करने का प्रयास किया जाता है। भारत में चूंकि मनुष्य के साथ साथ जीव जंतुओं, नदियों, पहाड़ों, पेड़ पौधों एवं जंगलों, आदि में भी ईश्वर का वास माना जाता है इसलिए किसी भी जीव को कोई क्षति न हो इस भावना को न केवल को आगे बढ़ाया जाता है बल्कि इस सिद्धांत पर अमल भी किया जाता है। इसीलिए भारत मूलतः शांतिप्रिय देश माना जाता है तथा भारत में हिंसा के लिए तो कोई जगह ही नहीं है। भारत के धर्मग्रंथों में भी जाने अनजाने में भी की गई जीव हत्या को पाप की संज्ञा दी गई है। सनातन हिंदू संस्कृति के ग्रंथों, उपनिषदों, आदि द्वारा काम, कर्म एवं अर्थ को धर्म के साथ जोड़कर ही सम्पन्न करने के उपदेश दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, महाभारत में वेद व्यास जी ने धर्म के आठ तरीके बताए हैं –

(i) यज्ञ – जिसका आश्य है कि ऐसा कर्म जो समाज के लाभ के लिए किया जाता है।

(ii) दान – समाज की सहायता करना।

(iii) तप – अर्थात स्वयं में सुधार करते रहना, स्वयं का मूल्यांकन करना तथा नकारात्मक गुणों को दूर कर सकारात्मक गुणों का विस्तार करना।

(iv) सत्यम् – सत्य के मार्ग पर चलना।

(v) क्षमा -दूसरों तथा स्वयं को गलतियों के लिए क्षमा करना।

(vi) दंभ – इंद्रियों को वश में रखना।

(vii) आलोभ – लालच नहीं करना एवं लालच में न आना।

(viii) अध्ययन – स्वयं और दुनिया का अध्ययन करना।

 

सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायी सामान्यतः धर्म के उक्त वर्णित आठ तरीकों पर चलने का प्रयास करते पाए जाते हैं। धर्म की इस राह पर चलकर उन्हें समाज में शांति पूर्वक रहने की प्रेरणा मिलती है एवं अंततः उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इसके साथ ही, विश्व के अन्य देशों में विकसित मत पंथों का अनुसरण करने वाले नागरिक भी भारत में पर्याप्त मात्रा में निवास करते हैं जैसे यहूदी, ईसाई एवं इस्लाम के अनुयायी, आदि। विश्व के अन्य भागों में विकसित उक्त वर्णित मत पंथों को सेमेटिक रिलिजन की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि इनकी साझा उत्पत्ति एवं कुछ सामान्य अवधारणाएं होती हैं, जैसे एक ही ईश्वर में विश्वास, नैतिकता एवं कर्मकांड।

यहूदी धर्म एक धर्मग्रंथ (ताल्मुद) पर आधारित है। इस धर्मग्रंथ में यहूदी लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया गया है। यहूदी धर्म सेमेटिक धर्म की श्रेणी में आता है क्योंकि इसमें एक ईश्वर (येहव) में विश्वास, अनुष्ठान एवं नैतिक नियमों का पालन किया जाता है। ईसाई धर्म ईसा मसीह की शिक्षाओं पर आधारित है, जो एक ईश्वर में विश्वास एवं ईसा मसीह के द्वारा उद्धार करने एवं उनके द्वारा ही मोक्ष करने पर जोर देता है। इसी प्रकार इस्लाम भी पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं पर आधारित है, जो कि एक ईश्वर (अल्लाह) में विश्वास एवं कुरान का पालन करने पर जोर देता है।

भारत में उत्पन्न विभिन्न धर्मों एवं मत पंथों में ईश्वर की अवधारणा विविध है, परंतु सेमेटिक धर्मों में केवल एक ईश्वर में ही विश्वास किया जाता है। भारतीय मत पंथों में कर्मकांड का महत्व कम है, जबकि सेमेटिक धर्मों में कर्मकांड की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। भारतीय मत पंथों में मोक्ष की प्राप्ति के विभिन्न मार्ग उपलब्ध हैं जिन पर चलकर मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है परंतु सेमेटिक धर्मों में मोक्ष की प्राप्ति केवल ईश्वर की कृपा से ही सम्भव है। भारतीय मत पंथों में विविध सामाजिक संरचना रहती है जबकि सेमेटिक धर्मों में एक समान सामाजिक संरचना रहती है एवं इसमें विविधता का अभाव है। भारत में उत्पन्न धर्मों एवं मत पंथों में तथा सेमेटिक धर्मों में सामाजिक संरचना एवं दर्शन भी अलग अलग है।

भारत के बारे में यह कहा जाता है कि यहां विविधता में भी एकता दिखाई देती है क्योंकि आज भारत में  विभिन्न धार्मिक आस्थाओं एवं विभिन्न धर्मों की उपस्थिति तथा उनकी उत्पत्ति तो दिखाई ही देती है, साथ ही, व्यापारियों, यात्रियों, आप्रवासियों, एवं यहां तक कि आक्रमणकारियों द्वारा भी यहां लाए गए धर्मों को आत्मसात करते हुए उनका सामाजिक एकीकरण दिखाई देता है। सभी धर्मों के प्रति हिन्दू धर्म के आतिथ्य भाव के विषय में जॉन हार्डन लिखते हैं, “हालांकि, वर्तमान हिन्दू धर्म की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता उसके द्वारा एक ऐसे गैर-हिन्दू राज्य की स्थापना करना है जहां सभी धर्म समान हैं…….।”

पूरे विश्व में संभवत: केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता एवं धार्मिक सहिष्णुता को समाज द्वारा मान्यता प्रदान की जाती है। सनातन हिंदू संस्कृति में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारतीय नागरिक स्वयं को किसी न किसी धर्म से सम्बंधित अवश्य बताता है। इसी के चलते, भारतीय नागरिक विश्व के किसी भी कोने में चला जाय परंतु अपनी संस्कृति को छोड़ता नहीं है। इसी कारण से यह कहा जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर आज की परिस्थितियों की बीच केवल भारतीय सनातन संस्कृति के माध्यम से ही पूरे विश्व में एक बार पुनः शांति स्थापित की जा सकती है।


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Prahlad Sabnani

Shri Prahlad Sabanani is a distinguished and experienced personality in the Indian banking sector, having served in various significant positions at the State Bank of India for 40 years. He retired as Deputy General Manager from the Corporate Centre of the State Bank of India in Mumbai. His three books—World Trade Organization: Impact on Indian Banking and Industry, Banking Today, and Banking Update—are highly acclaimed. He is also a prolific writer on economic and social issues of national importance.

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