2024 तक, यह अनुमानहै कि भारत की 90% से अधिक कार्यबल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, जिसमें छोटे पैमाने की कृषि, निर्माण, घरेलू काम और खुदरा व्यापार शामिल हैं। यह क्षेत्र 400 मिलियन से अधिक श्रमिकों का कार्यबल है, जिससे यह अनौपचारिक श्रम के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा क्षेत्र बन जाता है।
भारत का असंगठित क्षेत्र विशाल है, जो कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा रोजगार प्रदान करता है, लेकिन ये श्रमिक अक्सर स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं से वंचित रहते हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) और अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) के सहयोग से 20-21 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली में “असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए औपचारिककरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज: चुनौतियां और नवाचार” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 150 से अधिक नीति-निर्माता, सामाजिक सुरक्षा प्रशासक और विशेषज्ञ एकत्रित हुए, जिन्होंने असंगठित कार्यबल तक सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करने के लिए अपने विचार, रणनीतियां और समाधान साझा किए।
भारत का असंगठित क्षेत्र: एक महत्वपूर्ण कार्यबल
भारत का असंगठित क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है, जो रोजगार और आर्थिक उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 2024 तक, अनुमान है कि भारत के 90% से अधिक कार्यबल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिसमें लघु कृषि, निर्माण, घरेलू कार्य और खुदरा व्यापार जैसे क्षेत्र शामिल हैं। यह क्षेत्र 400 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा असंगठित श्रम क्षेत्र बन गया है। हालांकि, इस क्षेत्र के श्रमिक अक्सर अनिश्चित कार्य स्थितियों, कम वेतन, नौकरी की असुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन जैसी सुविधाओं की कमी का सामना करते हैं। असंगठित क्षेत्र की विशेषता अनियमित रोजगार है, जहां श्रमिकों को श्रम कानूनों या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत कवर नहीं किया जाता, जिससे वे आर्थिक झटकों और वित्तीय अस्थिरता के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
भारत सरकार ने इस क्षेत्र को औपचारिक बनाने और असंगठित श्रमिकों तक सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करने की आवश्यकता को पहचाना है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारत के असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज 24.4% से बढ़कर 48.8% हो गया है। यह वृद्धि ई-श्रम पोर्टल जैसी महत्वपूर्ण पहलों के कारण हुई है, जिसने 2025 तक 280 मिलियन से अधिक असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत किया है, जिससे उन्हें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच प्राप्त हुई। इन प्रगतियों के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में कम डिजिटल साक्षरता और पहुंच जैसे मुद्दों के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं। हालांकि, रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन योजना (ELI), राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल और श्रम कानून सुधार जैसी पहलों के माध्यम से भारत औपचारिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने और असंगठित श्रमिकों के कल्याण में सुधार करने की दिशा में प्रगति कर रहा है।
औपचारिककरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज में चुनौतियां
भारत के असंगठित क्षेत्र की पहचान अनौपचारिक अनुबंधों, अप्रत्याशित रोजगार और संगठित निगरानी की कमी से होती है। इस कारण, इस क्षेत्र के श्रमिकों को कम वेतन, नौकरी की असुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, मातृत्व लाभ और पेंशन जैसी आवश्यक सेवाओं तक सीमित पहुंच जैसी महत्वपूर्ण कमजोरियों का सामना करना पड़ता है। भारत की प्रभावशाली आर्थिक प्रगति के बावजूद, असंगठित अर्थव्यवस्था में कार्यरत अधिकांश कार्यबल को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
संगोष्ठी में चर्चा की गई मुख्य चुनौतियां निम्नलिखित थीं:
- जागरूकता की कमी: असंगठित श्रमिक अक्सर अपने अधिकारों और उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से अनभिज्ञ रहते हैं।
- प्रशासनिक बाधाएं: सामाजिक सुरक्षा लाभों की जटिल और खंडित वितरण प्रक्रिया श्रमिकों के लिए उन्हें प्राप्त करना कठिन बना देती है।
- डिजिटल विभाजन: कई असंगठित श्रमिक, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, तकनीक और इंटरनेट तक पहुंच की कमी के कारण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकित होने में सक्षम नहीं होते।
- लैंगिक असमानता: महिला श्रमिक, जो असंगठित क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हैं, लिंग आधारित भेदभाव और सामाजिक सुरक्षा तक सीमित पहुंच जैसी अतिरिक्त बाधाओं का सामना करती हैं।
नवाचार और समाधान
इन चुनौतियों के बावजूद, असंगठित श्रमिकों के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा कवरेज सुनिश्चित करने हेतु संगोष्ठी में कई नवाचारी समाधान प्रस्तुत किए गए:
- डिजिटल समाधान: डिजिटल प्लेटफार्मों, जैसे कि भारत के ई-श्रम पोर्टल, को गेम-चेंजर के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह पोर्टल असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत करने में मदद करता है और उन्हें विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे उन्हें लाभ प्राप्त करना आसान हो जाता है।
- औपचारिकता के लिए प्रोत्साहन: सरकारें अनौपचारिक व्यवसायों को वित्तीय और नियामक प्रोत्साहन देकर औपचारिक बनने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। इनमें कर लाभ या आसान ऋण पहुंच शामिल हो सकते हैं, जो व्यवसायों को औपचारिक क्षेत्र में स्थानांतरित होने के लिए प्रेरित करते हैं और अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करते हैं।
- लक्षित आउटरीच और जागरूकता अभियान: सरकारें मोबाइल ऐप, एसएमएस और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाकर जागरूकता के अंतर को पाट सकती हैं। ये पहल श्रमिकों को उनके अधिकारों और उपलब्ध लाभों के बारे में शिक्षित कर सकती हैं।
- लैंगिक-संवेदनशील दृष्टिकोण: सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना एक प्रमुख विषय रहा। महिलाओं के लिए विशिष्ट नीतियां, जैसे मातृत्व लाभ और स्वास्थ्य बीमा तक पहुंच, पर जोर दिया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सर्वश्रेष्ठ प्रथाएं: संगोष्ठी में असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा में सुधार के लिए वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं और रणनीतियों पर चर्चा की गई। जर्मनी, ब्राज़ील और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने असंगठित क्षेत्र को सामाजिक सुरक्षा लाभ देने के अपने अनुभव साझा किए, जो भारत के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करते हैं।
- प्रगति का मापन: संगोष्ठी में सामाजिक सुरक्षा कवरेज की प्रगति को सटीक रूप से मापने के लिए डेटा संग्रह के महत्व पर जोर दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और भारत के श्रम मंत्रालय के बीच 34 से अधिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के डेटा को एकत्रित करने के सहयोग को रिपोर्टिंग की सटीकता में सुधार और कवरेज को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया।
भारत की प्रगति और प्रमुख पहलें
भारत ने असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज में सुधार के लिए महत्वपूर्ण प्रगति की है। संगोष्ठी में हाइलाइट की गई कुछ प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं:
- ई-श्रम पोर्टल: असंगठित श्रमिकों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस, जो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच को सरल बनाता है।
- नेशनल करियर सर्विस पोर्टल: रोजगार के अवसरों से जोड़ने और कौशल प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने का मंच।
- रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ELI): असंगठित श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहन देने की योजना।
- श्रम सुधार: श्रम कानूनों में व्यापक सुधार, जो श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए प्रक्रियाओं को सरल और व्यवस्थित बनाते हैं और कार्यबल के औपचारिककरण को बढ़ावा देते हैं।
इसके अतिरिक्त, भारत की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), जो 800 मिलियन से अधिक लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है, को ILO द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी कानूनी रूप से बाध्यकारी सामाजिक सहायता योजनाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई है।
विकसित भारत में औपचारिकता और सामाजिक सुरक्षा का महत्व
जैसे-जैसे भारत 2047 तक विकसित भारत (विक्सित भारत) के दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहा है, असंगठित क्षेत्र का औपचारिककरण और सभी श्रमिकों तक सामाजिक सुरक्षा का विस्तार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक सुदृढ़ सामाजिक सुरक्षा प्रणाली सुनिश्चित करती है कि सभी नागरिकों को, चाहे उनका रोजगार कैसा भी हो, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक कल्याण का अधिकार प्राप्त हो।
- समावेशी विकास: असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना समावेशी विकास को प्रोत्साहित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से हाशिए पर और कमजोर लोगों तक पहुंचे।
- सशक्तिकरण: विशेष रूप से महिला श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करना लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है और उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाता है।
- आर्थिक स्थिरता: सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच वाले औपचारिक कार्यबल की उत्पादकता और लचीलापन अधिक होता है, जो समग्र आर्थिक स्थिरता और विकास में योगदान देता है।
- गरीबी में कमी: स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और कल्याणकारी लाभ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाएं श्रमिकों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करती हैं, जिससे गरीबी कम होती है और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है।
असंगठित श्रमिकों के लिए औपचारिकता और सामाजिक सुरक्षा कवरेज पर संगोष्ठी भारत को विकसित भारत बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होती है। यह सुनिश्चित करके कि सभी श्रमिक, विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आते हैं, भारत एक अधिक लचीला, समावेशी और न्यायसंगत समाज का निर्माण कर सकता है। संगोष्ठी में चर्चा किए गए नवाचारों और भारत के सतत प्रयासों के साथ, सभी श्रमिकों के लिए एक उज्जवल और सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा, जो राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान देगा।