जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट: भारत के बायोटेक्नोलॉजी क्रांति की नई शुरुआत

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जैव-प्रौद्योगिकी और जैविक संसाधनों (Biomass) का संयोजन 21वीं सदी में भारत को विकसित बनाने की एक महत्वपूर्ण नींव है।  जैव-अर्थव्यवस्था ने 2014 के 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 150 बिलियन डॉलर का स्तर छू लिया है।

 

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट भारत के बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है, जो देश को विकसित भारत (Viksit Bharat) मिशन की दिशा में अग्रसर करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट न केवल आनुवंशिकी (Genetics) के क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर है, बल्कि वैश्विक जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) में भारत को अग्रणी बनाने की नींव भी रखता है।

बायोटेक्नोलॉजी का ऐतिहासिक मील का पत्थर

पांच साल पहले शुरू किए गए जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के तहत 10,000 भारतीयों के जीनोमिक डेटा को सफलतापूर्वक तैयार किया गया है। कोविड महामारी के बावजूद इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में भारतीय विज्ञान संस्थानों जैसे IISc, IITs, CSIR, और DBT-BRIC का योगदान सराहनीय रहा है। अब यह बहुमूल्य जीनोमिक डेटा भारतीय बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में संरक्षित है, जो स्वास्थ्य सेवा, आनुवंशिकी, और व्यक्तिगत चिकित्सा (Personalized Medicine) में उन्नत अनुसंधान के लिए आधार प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक “ऐतिहासिक कदम” बताते हुए कहा कि भारत की आनुवंशिक विविधता, उसके सांस्कृतिक और भाषाई विविधता की तरह ही अनूठी है। जैसे कि आदिवासी समुदायों में सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियां प्रमुख हैं, इनसे निपटने के लिए एक व्यापक जीनोमिक अध्ययन आवश्यक है। जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट का उद्देश्य इन बीमारियों को बेहतर ढंग से समझना, उनके लिए समाधान विकसित करना और भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति लाना है।

जैव-अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी और जैविक संसाधनों (Biomass) का संयोजन 21वीं सदी में भारत को विकसित बनाने की एक महत्वपूर्ण नींव है। उन्होंने बताया कि जैव-अर्थव्यवस्था, जो प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और जैव-आधारित उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देती है, ने 2014 के 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 150 बिलियन डॉलर का स्तर छू लिया है।

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। यह प्रोजेक्ट दवा अनुसंधान (Drug Discovery), जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics), और आनुवंशिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) जैसे क्षेत्रों में प्रगति को गति देगा। हाल ही में शुरू की गई Bio-E3 नीति भारत को वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक प्रमुख नेता बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

स्वास्थ्य सेवा में क्रांति और प्रजा-हितैषी शासन

भारत ने बीते दशक में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • करोड़ों लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा उपचार प्रदान करना।
  • 80% रियायती दरों पर जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाइयां उपलब्ध कराना।
  • आधुनिक चिकित्सा अवसंरचना का निर्माण।

कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के फार्मा क्षेत्र ने अपनी क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन किया। जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट इस मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाएगा और सटीक चिकित्सा (Precision Medicine) और दवा अनुसंधान की दिशा में नए आयाम जोड़ेगा।

अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा

प्रधानमंत्री मोदी ने अनुसंधान और नवाचार के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित किया:

  • 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स और सैकड़ों अटल इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना।
  • पीएम रिसर्च फेलोशिप योजना के तहत पीएचडी शोध को प्रोत्साहन।
  • उदीयमान प्रौद्योगिकियों (Sunrise Technologies) में ₹1 लाख करोड़ का कोष बनाकर अनुसंधान और निवेश को बढ़ावा देना।

सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पहल ने भारतीय शोधकर्ताओं और छात्रों को वैश्विक स्तर की पत्रिकाओं तक नि:शुल्क और आसान पहुंच सुनिश्चित की है, जिससे उनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी।

विकसित भारत के सपने की पूर्ति

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट, मोदी सरकार की प्रजा-हितैषी शासन और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के उस मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है, जो जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का अद्वितीय संयोजन है। यह परियोजना न केवल भारत की घरेलू स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने में मदद करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक समस्याओं के समाधान में एक अग्रणी के रूप में स्थापित करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, “दुनिया हमसे समस्याओं के समाधान की उम्मीद कर रही है।” जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट इस जिम्मेदारी और अवसर को पूरा करता है, और भारत को जीनोमिक अनुसंधान, सतत नवाचार, और समतामूलक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने के लिए तैयार करता है। यह पहल भारत के विकसित भारत 2047 मिशन को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


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