18 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (एनआईएस) ने वर्मम थेरेपी के क्षेत्र में एक अनोखी उपलब्धि हासिल करते हुए 567 व्यक्तियों को एक साथ चिकित्सा प्रदान करके गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। यह कार्यक्रम एनआईएस के टैम्बरम, चेन्नई परिसर में आयोजित किया गया, जहां सिद्ध चिकित्सा की गैर-आक्रामक और दवा-रहित उपचार विधियों को एक नई पहचान मिली। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने एनआईएस के इस प्रयास की सराहना करते हुए एक लिखित संदेश में बधाई दी।
सिद्ध चिकित्सा और वर्मम थेरेपी का महत्व
वर्मम थेरेपी सिद्ध चिकित्सा प्रणाली का एक अनूठा हिस्सा है, जो शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर ऊर्जा को सक्रिय कर विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान करता है। यह पद्धति विशेष रूप से मस्कुलोस्केलेटल दर्द, चोटों और न्यूरोलॉजिकल विकारों में त्वरित राहत प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है। वर्मकलई, जो वर्मम का एक मार्शल आर्ट रूप है, को अक्सर एक युद्ध कला के रूप में देखा जाता है, लेकिन सिद्ध चिकित्सा में यह एक वैज्ञानिक उपचार पद्धति है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
सामूहिक प्रयास: इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में 567 प्रशिक्षित वर्मनी (वर्मम चिकित्सा विशेषज्ञ) शामिल हुए, जिन्होंने 567 प्रतिभागियों को एक साथ थेरेपी प्रदान की।
सार्वजनिक जागरूकता: इस आयोजन का उद्देश्य केवल रिकॉर्ड बनाना नहीं था, बल्कि नई पीढ़ी के बीच सिद्ध चिकित्सा और इसके वैज्ञानिक आधार को समझाने का भी था।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता: यह उपलब्धि सिद्ध चिकित्सा के वैश्विक प्रचार में सहायक साबित होगी।
नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को पुनर्जीवित करने और उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। आयुष मंत्रालय की स्थापना और आयुषमान भारत योजना के माध्यम से न केवल आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया गया है, बल्कि आयुर्वेद, योग, सिद्ध, यूनानी, और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक प्रणालियों को भी व्यापक समर्थन मिला है।
सिद्ध चिकित्सा पर विशेष ध्यान: मोदी सरकार ने सिद्ध चिकित्सा को मुख्यधारा में लाने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं, जिनमें शोध और विकास को प्रोत्साहित करना, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन, और संस्थानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करना शामिल है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे आयोजन इन प्रयासों को और अधिक प्रासंगिक बनाते हैं।
नेतृत्व और बधाई संदेश
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए एनआईएस टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह कार्यक्रम केवल एक पुरस्कार प्राप्त करने के लिए नहीं है, बल्कि नई पीढ़ी के बीच ऐसी अद्भुत प्रथाओं के विज्ञान और मूल्य को समझाने के लिए है। सिद्ध चिकित्सा प्रणाली हाल के वर्षों में न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित कर रही है।”
एनआईएस की निदेशक प्रोफेसर डॉ. आर. मीनाक्षी ने कहा, “वर्मम थेरेपी एक अद्वितीय, गैर-आक्रामक, लागत प्रभावी और गैर-फार्माकोलॉजिकल उपचार प्रणाली है। यह जटिल न्यूरोलॉजिकल रोगों, मस्कुलोस्केलेटल विकारों, बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर और सेरेब्रल पाल्सी के उपचार में उपयोगी है। यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड सिद्ध चिकित्सा को विश्व स्तर पर और भारत में अधिक ध्यान दिलाने में मदद करेगा।”
“विज़न विकसित भारत” में योगदान
यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण के साथ मेल खाती है, जिसमें स्वस्थ और सशक्त समाज की परिकल्पना की गई है। पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियां, जैसे सिद्ध चिकित्सा, भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं और स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
वैश्विक प्रचार और जागरूकता: एनआईएस के इस कदम ने न केवल सिद्ध चिकित्सा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे पारंपरिक प्रणालियां आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलकर बेहतर स्वास्थ्य परिणाम दे सकती हैं।
राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान का यह ऐतिहासिक कदम न केवल सिद्ध चिकित्सा की प्राचीन परंपरा को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को विश्व मंच पर एक नई पहचान भी प्रदान करता है। नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों और “विजन विकसित भारत” के लक्ष्य के तहत यह उपलब्धि एक प्रेरणादायक कदम है, जो देश को स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।