पाकिस्तान को नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना होगा

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पाकिस्तान के जन्म के साथ ही वहां के राष्ट्रीय दलों एवं नेताओं ने भारत विरोध को अपनी अधिकारिक नीति बना लिया था। पाकिस्तान के आर्थिक विकास पर ध्यान नहीं देते हुए, किसी भी प्रकार भारत के हितों को क्षति पहुंचाई जाए, इस बात पर अधिक ध्यान दिया गया। भारत को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से पाकिस्तान द्वारा कई आतंकवादी संगठन खड़े किए जाते रहे एवं इन संगठनों के आतंकवादी सदस्यों को भारत भेजा जाता रहा। भारत, हालांकि पाकिस्तान द्वारा भारत में भेजे गए इन आतंकवादीयों को मौत के घाट उतारने में लगातार सफल होता रहा, परंतु, कुछ अवसरों पर इन आतंकवादीयों को भी भारत में अप्रिय घटनाओं को अंजाम देने में सफलता हासिल होती रही। वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान भारत पर निराधार आरोप लगाकर भारत को बदनाम करने के लगातार प्रयास करता रहा है। भारत के इस अंधे विरोध के चलते पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति पूर्णत: बाधित हुई है। भारत और पाकिस्तान वर्ष 1947 में एक साथ राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करते हुए आगे बढ़े थे। परंतु, आज पूरे विश्व में भारत एक महाशक्ति बन गया है जबकि पाकिस्तान लगातार केवल आतंकवादी संगठनों की स्थापना करते हुए आज विश्व में आतंकवादी पैदा करने की सबसे बड़ी फैक्टरी बन गया है तथा आर्थिक प्रगति के मामले में तो एकदम पिछड़ गया है।

आज भारत का सकल घरेलू उत्पाद 4.19 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है और भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है जबकि पाकिस्तान का सकल घरेलू उत्पाद केवल 37,900 करोड़ रुपए का ही है। भारत में प्रति व्यक्ति आय 11,110 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जबकि पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय 6,720 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है, अर्थात भारत की तुलना में लगभग आधी, जबकि भारत की जनसंख्या 140 करोड़ से अधिक है तो वहीं पाकिस्तान की जनसंख्या केवल लगभग 25 करोड़ ही है। इसी प्रकार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 68,800 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है, जो कि संभवत: इस वर्ष एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर को भी पार कर सकता है। वहीं, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 1,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ही है। पाकिस्तान पूरे विश्व में विभिन्न वित्तीय संस्थानों एवं देशों से सबसे अधिक बार ऋण लाने वाले एवं आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाले देशों की सूची में प्रथम स्थान पर काबिज है। अभी भी, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मोनेटरी फंड से 700 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण लेने का प्रयास कर रहा है। जबकि भारत अन्य देशों को ऋण प्रदान करने की स्थिति में पहुंच गया है।

वित्तीय वर्ष 2022 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2023 में 7.6 प्रतिशत, वित्तीय वर्ष 2024 में 9.2 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2025 में 6.5 प्रतिशत की रही है। इसके विपरीत पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2022 में 6.2 प्रतिशत, वित्तीय वर्ष 2023 में ऋणात्मक 0.2 प्रतिशत, वित्तीय वर्ष 2024 में 2.5 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2025 में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर रही है। जबकि, भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद के आकार का 11 गुणा से भी अधिक है। भारत के बड़े आकार के सकल घरेलू उत्पाद पर वृद्धि दर भी अधिक है और पाकिस्तान के छोटे आकार के सकल घरेलू उत्पाद पर वृद्धि दर भी कम है। इससे तो भविष्य में पाकिस्तान, भारत की तुलना में और अधिक पिछड़ता जाएगा।

भारत में केंद्र सरकार का वित्तीय बजट प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख करोड़ रुपए से अधिक का रहता है जबकि पाकिस्तान का वित्तीय बजट केवल 5.65 लाख करोड़ भारतीय रुपए (पाकिस्तानी रुपए में 18.9 लाख करोड़ रुपए) का ही रहता है। भारत का वार्षिक वित्तीय बजट पाकिस्तान के वार्षिक वित्तीय बजट से लगभग 10 गुणा है। पाकिस्तान के वार्षिक बजट के आकार से अधिक आकार का बजट तो भारत में अकेले उत्तर प्रदेश राज्य का ही है। भारत में केंद्र सरकार के उपक्रम एवं अन्य उपक्रम केंद्र सरकार को लाखों करोड़ रुपए की राशि डिवीडेंड के रूप में उपलब्ध करा रहे हैं। इस वर्ष, अकेले भारतीय रिजर्व बैंक ही 2.5 से 3 लाख करोड़ रुपए की राशि का लाभांश केंद्र सरकार को उपलब्ध कराने जा रहा है। अकेले वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण ही लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक प्रति माह के स्तर पर पहुंच गया है। भारत में अप्रेल 2025 माह में 2.37 लाख करोड़ रुपए का वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण हुआ है।

रक्षा के क्षेत्र में भी भारत आज पूरे विश्व में एक सक्षम एवं अनुशासित महाशक्ति बन चुका है। अतः पाकिस्तान को भारत से लड़ाई करने का विचार ही अपने मन से निकाल देना चाहिए, इसी में पाकिस्तान के आम नागरिकों की भी भलाई है। कुछ समाचारों के अनुसार, दिनांक 8 मई 2025 की रात्रि में पाकिस्तान ने लगभग 200 मिसाईल एवं ड्रोन भारत के विभिन्न शहरों पर दागे थे, परंतु इनमें से शायद एक भी ड्रोन पाकिस्तान द्वारा तय किए गए अपने ठिकाने पर नहीं पहुंच सका और भारतीय सेना ने इन मिसाईल एवं ड्रोन को हवा में ही मार गिराया। जबकि, भारत ने जितने भी मिसाईल एवं ड्रोन पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के अड्डों पर दागे, इन लगभग सभी ने ही अपने निशाने पर सटीक रूप से पहुंच कर उन ठिकानों को तबाह किया है। अतः पाकिस्तान के नागरिकों को भी अब इस बात पर विचार करना चाहिए कि पड़ौसियों के साथ मित्रवत होकर रहने में ही दोनों देशों की भलाई है। पाकिस्तान यदि भारत से युद्ध करेगा तो उसे निश्चित ही मुंह की खानी पड़ेगी, जैसा कि अभी की परिस्थितियों की बीच होता हुआ दिखाई भी दे रहा है।

विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों ने पाकिस्तान को भारत के साथ युद्ध से बचने की सलाह दी है क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहिले से ही जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है एवं पाकिस्तान पर आज कर्ज का भारी भरकम बोझ इतना अधिक है कि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान एक हफ्ता भर भी भारत के सामने युद्ध में नहीं टिक पाएगा। वैश्विक आर्थिक आंकड़ों के अनुसार, दिसम्बर 2024 माह तक पाकिस्तान पर 13,100 करोड़ अमेरिकी डॉलर का बाहरी संस्थानों एवं अन्य देशों का ऋण है। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच पाकिस्तान सरकार को अपने बजट में रक्षा खर्च को 18 प्रतिशत बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपए के स्तर पर लाना पड़ा है। यह निश्चित ही पाकिस्तानी नागरिकों के साथ अन्याय है क्योंकि अन्यथा यह भारी भरकम राशि उनके जीवन स्तर को सुधारने पर खर्च की जा सकती थी। हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध छेड़े गए युद्ध के बाद भारत ने 23 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान के खिलाफ कई निर्णय लिए हैं, जिनमें सिंधु जल संधि को निलम्बित करना, अटारी बॉर्डर को बंद करना, राजनयिक संबंधों को कम करना, पाकिस्तानी विमानों को भारतीय सीमा के ऊपर उड़ने की अनुमति रद्द करना एवं तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले व्यापार समेत पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार का व्यापार निलंबित करना आदि कदम शामिल है। इन सभी निर्णयों का प्रभाव निश्चित ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और अधिक विपरीत रूप से प्रभावित करेगा एवं पाकिस्तान के नागरिकों के लिए और अधिक समस्याएं खड़ी करेगा।

भारत में उत्पन्न विभिन्न धर्मों के अनुयाई नागरिक सामान्यतः अत्यधिक शांतिपूर्ण तरीके से रहते आए हैं। भारत के अति प्राचीन काल के इतिहास से लेकर आज तक इस तरह की घटनाओं का वर्णन बिलकुल नहीं मिलता है कि भारत ने कभी भी विस्तरवादी नीति के तहत किसी अन्य राष्ट्र पर आक्रमण किया हो। इसके ठीक विपरीत पाकिस्तान ने अपने जन्म से ही आक्रामक नीति अपनाते हुए भारत विरोध को अपनी राष्ट्रीय नीति के रूप में चुना इससे पाकिस्तान के राजनैतिक दलों एवं नेताओं ने पाकिस्तान के आम नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर कार्य करने के बजाय भारत को परेशान करने के उद्देश्य से अधिक से अधिक आतंकवादी पैदा करने की नीति का अनुसरण किया। परंतु, आज समय आ गया है कि पाकिस्तानी नागरिकों को जागरूक होकर वहां के राजनैतिक दलों एवं नेताओं पर दबाव बनाना चाहिए ताकि वे उनके हितों को ध्यान में रखते हुए देश की आर्थिक प्रगति की ओर विशेष ध्यान दें। जिससे, पाकिस्तान के आम नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार कर उसे ऊपर लाया जा सके।


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Prahlad Sabnani

Shri Prahlad Sabanani is a distinguished and experienced personality in the Indian banking sector, having served in various significant positions at the State Bank of India for 40 years. He retired as Deputy General Manager from the Corporate Centre of the State Bank of India in Mumbai. His three books—World Trade Organization: Impact on Indian Banking and Industry, Banking Today, and Banking Update—are highly acclaimed. He is also a prolific writer on economic and social issues of national importance.

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