भारत में मिनरल और खनिज संसाधनों की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए, माइन एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) संशोधन अधिनियम, 2023 (MMDR Act, 2023) के तहत पोटाश और ग्लॉकोनाइट (पोटैशिक खनिज) को महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
भारत में कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और बाहरी निर्भरता को कम करने के लिए सरकार लगातार नई पहल कर रही है। इसी दिशा में, सीरे से बने पोटेशियम यानि पोटेशियम डेराइव्ड फ्रॉम मोलासेस (PDM) एक महत्वपूर्ण नवाचार के रूप में उभरा है। यह चीनी उद्योग का एक उप-उत्पाद है जिसमें न्यूनतम 14.5% पोटाश होता है और इसे म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) का एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है। PDM के उपयोग से आयातित पोटाश पर निर्भरता कम होगी, जिससे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी।
PDM का महत्व और उपयोग
पोटाश फसलों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो उनकी जड़ की वृद्धि, जल संतुलन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। परंपरागत रूप से, भारत MOP (60% पोटाश युक्त) का बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा पर दबाव पड़ता है।
PDM को 2009 में फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO) 1985 के तहत अधिसूचित किया गया था। इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए, इसे रबी 2022 से न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) योजना में शामिल किया गया। सरकार ने 2024-25 के लिए PDM पर ₹345 प्रति टन की सब्सिडी निर्धारित की है, जिससे किसानों को किफायती और प्रभावी उर्वरक मिल सके।
PDM और उसकी सरकारी मान्यता
सरकार ने PDM को फर्टिलाइज़र कंट्रोल ऑर्डर (1985) के तहत वर्ष 2009 में अधिसूचित किया था। इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इसे रबी 2022 से न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी स्कीम (NBS) के तहत शामिल किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, सरकार ने PDM पर 345 रुपये प्रति टन की सब्सिडी तय की है। यह कदम किसानों को कम लागत में पोषक तत्व युक्त उर्वरक उपलब्ध कराने में सहायक होगा।
खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में सुधार
भारत सरकार ने पोटाश और ग्लॉकोनाइट (पोटेशियम खनिज) को “क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक मिनरल्स” के रूप में वर्गीकृत किया है। माइन एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) अमेंडमेंट (MMDR) एक्ट, 2023 के तहत घरेलू उत्पादन बढ़ाने और खनिज आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार ने MMDR एक्ट, 1957 के प्रावधानों के अनुसार महत्वपूर्ण खनिजों की खनन नीलामी प्रक्रिया शुरू की है। 10 दिसंबर 2024 तक, 5 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है। इससे भारत के उर्वरक क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी।
अमोनियम नाइट्रेट पर नए नियम
भारत में रासायनिक क्षेत्र एक विनियमित और नियंत्रित क्षेत्र है। अमोनियम नाइट्रेट के निर्माण, आयात, निर्यात और परिवहन को अमोनियम नाइट्रेट रूल्स, 2012 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
बजट 2024-25 में, अमोनियम नाइट्रेट पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) को 7.5% से बढ़ाकर 10% कर दिया गया है। यह निर्णय घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा और भारतीय निर्माताओं को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देगा।
जैविक खाद को बढ़ावा देने की सरकारी पहल: GOBARdhan योजना
भारत सरकार कृषि क्षेत्र में टिकाऊ और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार नई योजनाएँ लागू कर रही है। इसी दिशा में, GOBARdhan (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan) योजना के तहत ऑर्गेनिक फर्टिलाइज़र को बढ़ावा देने के लिए मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस (MDA) के रूप में 1500 रुपये प्रति टन की सब्सिडी को मंजूरी दी गई है।
GOBARdhan योजना क्या है?
GOBARdhan योजना का उद्देश्य कृषि अपशिष्ट और गोबर से बायोगैस, कम्पोस्ट और अन्य जैविक उत्पाद बनाकर स्वच्छता, ऊर्जा उत्पादन और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है। इससे किसानों को कम लागत में प्राकृतिक उर्वरक मिलेगा, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी।
योजना का कार्यान्वयन और सहयोगी मंत्रालय
इस योजना को विभिन्न मंत्रालयों एवं सरकारी कार्यक्रमों के सहयोग से लागू किया जा रहा है:
SATAT (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation) योजना – पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय: इस योजना के तहत संपीड़ित बायोगैस (CBG) के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे जैविक कचरे का उपयोग हरित ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जा सके।
वेस्ट टू एनर्जी प्रोग्राम – नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय: यह कार्यक्रम कचरे से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे कृषि और अन्य जैविक अपशिष्टों का कुशल प्रबंधन किया जा सके।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) – पेयजल और स्वच्छता विभाग: इस मिशन के अंतर्गत गांवों में स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे गोबर और अन्य जैविक कचरे को उपयोगी संसाधन में बदला जा सके।
आर्थिक प्रावधान और अनुसंधान को प्रोत्साहन
सरकार ने इस योजना के लिए 2023-24 से 2025-26 के बीच कुल 1451.84 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है। इसमें से 360 करोड़ रुपये विशेष रूप से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए रखे गए हैं, ताकि नई तकनीकों को विकसित किया जा सके और जैविक खेती को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
GOBARdhan योजना के लाभ
✅ किसानों को कम लागत में प्राकृतिक खाद उपलब्ध होगी
✅ रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी
✅ जैविक कचरे का सही प्रबंधन होगा
✅ स्वच्छता और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा मिलेगा
✅ ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा उत्पादन और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे
जैविक कीटनाशकों को बढ़ावा
भारत में इंस्टीट्यूट ऑफ पेस्टिसाइड फॉर्मूलेशन एंड टेक्नोलॉजी (IPFT) ने पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशकों और जैविक उत्पादों के विकास पर कार्य किया है।
HIL (India) Ltd. ने UNIDO FARM (Financing Agrochemical Reduction and Management) प्रोजेक्ट के तहत तीन प्रमुख जैविक कीटनाशकों का विकास किया है:
- Btk (Bacillus thuringiensis kurstaki) – कैटरपिलर कीटों पर प्रभावी
- नीम आधारित कीटनाशक – कई प्रकार के कीटों पर नियंत्रण
- Trichoderma spp. – मृदा जनित कवकीय रोगों को रोकने में प्रभावी और पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाला
पोटेशियम डेराइव्ड फ्रॉम मोलासेस (PDM), जैविक खाद, और जैविक कीटनाशकों का उपयोग भारतीय कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। सरकार द्वारा PDM पर सब्सिडी, घरेलू खनिज उत्पादन को बढ़ावा देने, जैविक कृषि को समर्थन देने, और पर्यावरण हितैषी कीटनाशकों को अपनाने जैसी पहलें कृषि को अधिक आत्मनिर्भर, पर्यावरण-संवेदनशील और किसान-हितैषी बना रही हैं।
इस प्रकार, PDM का उपयोग और सरकार की ये योजनाएँ भारत को “आत्मनिर्भर कृषि” की दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।