नरेन्द्र मोदी सरकार के सामाजिक आर्थिक न्याय से सुनिश्चित होता विकसित भारत का स्वप्न

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“मोदी सरकार ने ही दलितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता, छोटे काम धंधे, कारोबार हेतु खोलने में पहले की सरकारों द्वारा चलाये जा रहे उन नियमों को हटाने का काम किया जिसमें वो बकरी और सुअर ही पाल सकते थे। सरकार ने दलितों को पैसा दिया और कहा आप स्वेच्छा के अनुसार कोई भी काम करें।”

पिछले एक दशक में आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में भारत को विकसित होते देखना उत्साहवर्धक है। यह नरेंद्र मोदी जी के कुशल प्रशासन और उनके दृढ़ संकल्पों से ही संभव हो पाया है। कहते हैं कि परिवर्तन एक क्रमिक नियम है और अगर हम इस परिवर्तन के पथ पर बढ़ेंगे तो अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे। माननीय प्रधानमंत्री का यह मानना है कि देश के युवा अगर अपनी क्षमताओं और कर्तव्यों का निर्वहन करना आरम्भ करें तो देश एक विकसित राष्ट्र के रूप में तीव्र गति से उभर सकता है। सबसे बड़ी बात यह कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत की 140 करोड़ जनसंख्या में यह विश्वास पैदा करने में सफलता पाई कि समाज को भी देश के प्रति कुछ त्याग करना आवश्यक है तथा देश को आगे बढ़ने के लिए हमें कुछ कड़वे तथा कठोर नियम कानूनों को मानना पड़ेगा। तब कहीं कोई भी सरकार सामाजिक आर्थिक न्याय पूर्णतः कर सकती हैं।

केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती गैर-भाजपा सरकारों की तरह भारत को केवल एक भूमि का टुकड़ा समझकर अपने राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शासन नहीं किया है, अपितु भावनात्मक स्तर पर जाकर भारत को सत्य स्वरूप भारतमाता मानकर उसकी देहात्मा के रक्षण, पोषण और संवर्धन का कार्य किया है। यहां देह का अर्थ है- भारत के हर भूगोल तक सामाजिक, बुनियादी ढांचा और आर्थिक विकास की गंगा बहाना एवं आत्मा से तात्पर्य है – भारत के मूल्यों की पुनर्स्थापना एवं सहस्त्र वर्षों के गुलामी की कालिमा को मिटाकर अपने सांस्कृतिक मान- बिंदुओं, भाषाओं, त्योहारों, लोक-परंपराओं, शिल्प, कला आदि का संवर्धन कर विश्व में स्थापित करना।

तकनीकि से अन्त्योदय:

मोदी सरकार ने डिजिटल पहलों, तकनीकी प्रगति, सामाजिक कल्याण योजनाओं, वित्तीय समावेशन, स्वच्छ ईंधन, स्वच्छ वातावरण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के प्रोत्साहन पर महत्व दिया है। “प्रधान मंत्री जन धन योजना,” “प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना,” और “आयुष्मान भारत” जैसी कई योजनाएं सामाजिक असमानताओं को कम करने और गरीबी रेखा से ऊपर उठने के लक्ष्य के साथ आरंभ की गई हैं। मनमोहन सिंह सरकार ने भी “राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” और “सर्व शिक्षा अभियान” जैसी योजनाओं के माध्यम से सामाजिक विकास को बढ़ावा दिया था। इन तथ्यों से निष्कर्ष यही निकलता है कि कुछ पैमानों पर मोदी सरकार तो कुछ पर मनमोहन सरकार बेहतर दिखाई पड़ती है। लेकिन फ़िर भी अंतिम वाक्य के रुप में यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार यूपीए की तुलना में अधिक बेहतर नज़र आती है। जिसने दीनदयाल उपाध्यायजी के अंत्योदय सिद्धांत को धरातल पर वास्तव में उतारा। विकास को राष्ट्र के अंतिम व्यक्ति के लिए सुनिश्चित किया। भ्रष्टाचार पर बड़े स्तर पर अंकुश लगाकर विकसित भारत की नींव रख दी है।

युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल

मोदीजी ने अपने कई भाषणों में कहा भी है, “भारत एक युवा राष्ट्र है, वर्तमान में इसकी 65% आबादी की आयु 35 वर्ष से कम है। युवाओं के पास राष्ट्र को बदलने की, उसे एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभारने के क्षमता होती है।” प्रधान सेवक ने समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के बीज बोए हैं, जिसे विकसित राष्ट्र रूपी वृक्ष बनाने के लिए हमें कुछ समय देना होगा। विगत दिनों प्रधानमंत्री ने लालकिले से देश के युवाओं से आहान किया कि देश से करीब एक हजार युवा गैरराजनैतिक परिवारों से राजनीति में आये और देश की राजनीतिक व्यवस्था में भागीदार बने। इसलिए पिछले दिनों प्रधान सेवक ने देश को विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए देश में एक ‘विकसित भारत 2047’ के माध्यम से योजनाओं एवं उसके क्रियान्वयन के लिए तथा इन योजनाओ तथा इनके क्रियान्वयन में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल की है। इसका उद्देश्य युवाओं को एक मंच प्रदान करना है जहाँ युवा अपनी क्षमताओं और कौशल के माध्यम से भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकें।

विकसित भारत @2047: युवाओं की आवाज को विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए शुरू किया गया, जो भारत के भाग्य में दृढ़ विश्वास, अटूट समर्पण और लोगों, विशेष रूप से युवाओं की विशाल क्षमता और प्रतिभा की गहन मान्यता की मांग करता है। विकसित भारत, एक दूरदर्शी अवधारणा का प्रतिनिधित्व करता है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र के व्यापक परिवर्तन की कल्पना करता है। इस दृष्टिकोण में आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समावेशिता, तकनीकी उन्नति, पर्यावरणीय स्थिरता, सामाजिक समानता-न्याय और वैश्विक नेतृत्व शामिल है।

मोदी दशक का सिंहावलोकन

यदि मोदी दशक का सिंहावलोकन किया जाए तो हम पाएँगे कि नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राईक, कोविड -19 लॉकडाउन, 370 अनुच्छेद समाप्त करना जैसे अत्यधिक कड़े फैसले लेते हुए मोदीजी ने इसे किसी मंत्रालय अथवा प्रशासन पर आरोपित न करते हुए स्वयं इसकी जिम्मेदारी लेते हुए देश को संबोधित किया। किसी भी बड़े या कड़े फैसले में राष्ट्र को संबोधित कर उसकी घोषणा स्वयं करने के साथ श्री नरेंद्र मोदी ने यह साबित किया है कि यह फैसला उनका है तथा सही या गलत होने की जिम्मेदारी भी सिर्फ उनकी है। मोदी सरकार ने पहले की सरकारों के बजाय यह सुनिश्चित करने का अटल प्रयास किया है कि एक विकसित भारत की अर्थव्यवस्था लचीली और मजबूत होनी चाहिए जो अपने सभी नागरिकों को अवसर और उच्च जीवन स्तर प्रदान कर सके। अर्थव्यवस्था को उद्यमिता, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता के आधार पर 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए। भारत की जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए एक विकसित भारत में स्वच्छ और हरित वातावरण होना चाहिए। पर्यावरण को पुनर्स्थापन, संरक्षण और लचीलेपन के आधार पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सक्षम होना चाहिए। एक विकसित भारत में एक समावेशी और सामंजस्यपूर्ण समाज होना चाहिए जो अपने सभी नागरिकों की गरिमा और कल्याण सुनिश्चित करे। समाज को न्याय, समानता और विविधता पर आधारित भारत की सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने और उसका सम्मान करने में सक्षम होना चाहिए। वहीं एक विकसित भारत में सुदृढ़ नीतियों और जवाबदेही के साथ चुस्त शासन होना चाहिए। एक सुशासन प्रणाली वह है जहाँ विश्वसनीय डेटा एकत्र करने, सुधार के लिए क्षेत्रों का विश्लेषण करने और टीमवर्क, चिंतन, सहानुभूति और परामर्श के आधार पर देश को बेहतर बनाने के लिए तेजी से कार्य करने का प्रावधान हो।

पूर्ण सामाजिक न्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नई दिल्ली में लालकिले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्‍होंने भारत के विकास के लिए भविष्य के लक्ष्यों की श्रृंखला की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‛सरकार राष्ट्र को मजबूत बनाने और लोगों के जीवन में बदलाव लाने के इरादे से सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए शासन में सुधार आवश्यक हैं। श्री मोदी ने कहा कि बैंकिंग, पर्यटन, एमएसएमई, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, परिवहन,सड़क और कृषि जैसे हर क्षेत्र में नई तथा आधुनिक प्रणाली स्थापित की जा रही है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप में उछाल देश को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने युवाओं को प्रशिक्षित करने और देश को दुनिया की कौशल राजधानी बनाने के लिए सरकार द्वारा घोषित ऐतिहासिक पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने की परिकल्पना का उल्‍लेख किया और विकास की अपेक्षाओं को तेज गति से पूरा करने के लिए भविष्य के लिए कुशल संसाधन तैयार करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराधों के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अपराधियों को जल्द से जल्द दंडित किया जाना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।’ तब ही सही अर्थों में पूर्ण सामाजिक न्याय होगा व भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बन सकेंगा।

सामाजिक समरसता के सिद्धान्त को आधार मानकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने जहां अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग को संवैधानिक सुरक्षा देने की दिशा में उपाय किए। वहीं आवास, शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के क्षेत्र में तमाम प्रावधान बनाकर दलित और शोषित समाज को सशक्त बनाने का काम किया। दलितों के लिए स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत उद्यमिता का वातावरण बनाया, ताकि वे खुद काम शुरू कर सकें, साथ ही अपने समाज के दूसरे लोगों को भी काम पर लगा सकें। मोदी सरकार ने समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया, जिससे वे सामान्य वर्ग के पिछड़े लोगों के तारणहार बनकर सामने आए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारी सरकार के लिए सिर्फ कहने-सुनने की बात नहीं, बल्कि एक कमिटमेंट(प्रतिबद्धता) है। ये हमारी श्रद्धा है। गरीबों, वंचितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सम्मान और समान अधिकार दिलाना बाबासाहेब अंबेडकर का सपना था, हम उन्हीं के सपनों को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार, बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलते हुए, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ समाज के हर वर्ग तक विकास का लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। भाजपा की सरकार ने ही दलितों को मिलने वाली आर्थिक सहायता, छोटे काम धंधे, कारोबार हेतु खोलने में पहले की सरकारों द्वारा चलाये जा रहे उन नियमों को हटाने का काम किया जिसमें वो बकरी और सुअर ही पाल सकते थे। सरकार ने दलितों को पैसा दिया और कहा आप स्वेच्छा के अनुसार कोई भी काम करें।

देश के बड़े वर्ग दलित समाज के साथ यह वास्तविक सामाजिक आर्थिक न्याय की श्रेणी का निर्णय मोदी सरकार के कार्यकाल में ही पूर्ण हुआ। मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति जनजाति के लिए चलने वाली विभिन्न योजनाओं के लिए अब तक की सबसे ज्यादा राशि को आवंटित किया, जिसकी लगभग राशि 1,2600 करोड़ रुपए है। सरकार से मुद्रा बैंक योजना के द्वारा 8 करोड़ से ज्यादा ऋण (लोन) राशि केवल अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों ने लिया है। इसको लेकर इस वर्ग के लोगों ने विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाइयों का संचालन किया। इस योजना में बाबा साहब आंबेडकर के उस सपने को भी साकार किया जो उन्होंने 1918 साउथ बोरो कमेटी के समक्ष प्रस्तुत अपने प्रतिवेदन में की थी। बाबा साहब चाहते थे की दलित उद्यमियों की एक बड़ी फौज खड़ी हो। इस मंशा को सरकार ने मुद्रा और स्टार्ट-अप इंडिया के माध्यम से पूरा करने का काम किया है। इसमें सबसे बड़ी बात हैं 50,000 की राशि से लेकर 1 करोड़ तक की राशि अनुसूचित जाति जनजाति ने ली है।

ग्रामीण भारत का सम्मान

इसी प्रकार से प्रधानमंत्री के द्वारा अपने पहले कार्यकाल में “स्वच्छ भारत अभियान” से ग्रामीण भारत में सम्मान और अपमान की एक परिचर्चा प्रारंभ हुई हैं, वर्तमान में घर में शौचालय होना सम्मान का प्रतीक बनता जा रहा है। आए दिन शादी और शौचालय को लेकर विभिन्न रिपोर्ट छपती रहती हैं। स्वच्छ भारत अभियान क्या मात्र घरों में इज्जतघर (शौचालय) बनाने मात्र से जुड़ा है ? बस इतनी-सी बात है, ऐसा नहीं बल्कि ये अभियान स्वस्‍थ्य पर्यावरण के साथ जुड़ा है, ग्रामीण भारत में बीमारी का बड़ा कारण शौच के लिए बाहर जाना है और मक्खियों के द्वारा होने वाली ज्यादातर बीमारियों में काफी कमी आई है। अभी तक सरकार ने करीब 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कर दिया है, जो सफलता के काफी नजदीक है। पीछले दिनों हुए एक शोध से पता चला कि स्वच्छ भारत अभियान के कारण प्रतिवर्ष 70 हजार बच्चों को बचाया गया व महिलाओं स्वास्थ्य लाभ हुआ। यहां ऐसे ही कुछ ओर तथ्यों व आंकड़ों पर दृष्टि डाले तो हम देखते हैं कि उज्जवला योजना जिसमें घर की महिलाओ को मुफ़्त गैस देने की योजना का प्रावधान किया गया, क्या इसका लाभ केवल सामान्य वर्गों ने लिया है ? ऐसा बिलकुल नहीं है। इसमें अधिकतर लाभार्थी दलित, पिछड़े समाज के लोग ही हैं, इस योजना का लाभ देश के 7 करोड़ से अधिक लोगों ने लिया है।

50 करोड़ लोगों का “आयुषमान भारत” परिवार

इसी प्रकार लगभग 50 करोड़ लोगों ने “आयुषमान भारत” योजना के तहत अपना निःशुल्क इलाज कराया है, ये योजना दुनिया की सबसे बड़ी योजना है, जिसमें प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा दिया गया है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लगभग 3 करोड़ ग़रीबों को पक्के घर बना कर दे दिए गए हैं। 33 करोड़ जनधन बैंक खाते खोल कर सरकारी योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने का काम किया है “लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में” क्या इसमें दलित, वांचित, अनुसूचित जाति जनजाति नहीं है ? गाँवों में बैंक खाते ना होने के कारण नरेगा में कितना भ्रष्टाचार होता था क्या किसी से छुपा है। वास्तव में यही सच्चा सामाजिक व आर्थिक न्याय है जो विकसित भारत की सुदृढ नींव रखता है।

नरेन्द्र मोदी सरकार के सामाजिक आर्थिक न्याय से सुनिश्चित होता विकसित भारत का स्वप्न निरंतर साकार हो रहा है और विश्व के अनेक शक्तिशाली देश इसकी सराहना कर रहे हैं। भारतीय नागरिकों को सामाजिक के साथ आर्थिक न्याय प्रदान करना मोदी सरकार को ऐतिहासिक कार्य है। इस कारण ही देश की जनता ने 2024 में पुनः मोदी सरकार को ही चुना व विकसित राष्ट्र के लिए देश का नेतृत्व पुनः नरेंद्र मोदी जी के हाथों में दिया। यह सरकार विकसित भारत 2047 के कार्य में भी जोरशोर से लग गई है। विकसित भारत का स्वप्न कोरी कल्पना नहीं है, मोदी सरकार के निर्णयों में इस स्वप्न को धरातल पर उतारने के सारे लक्षण दिख रहे हैं। आज भारत रक्षा, अंतरिक्ष, वित्तीय, सामरिक मामलों, शिक्षा, स्वरोजगार आदि मामलों में किसी पर निर्भर नहीं है। यही से नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा विकसित भारत के लिए किये जा रहे कार्यों व निर्णयों को आसानी से देखा जा सकता है।


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Bhupendra Bhartiya

Bhupendra Bhartiya is an accomplished advocate and law faculty member from Dewas, Madhya Pradesh, with an impressive academic background in law (LL.B (Hons.), LL.M, M.Phil). A prolific writer, he has a deep interest in contemporary issues, poetry, and satire, with over 200 satirical pieces published in leading national and international publications like Nai Dunia, Dainik Jagran, and Amar Ujala. Additionally, his contributions include over two dozen published poems and book reviews, reflecting his versatile literary talent.

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