अन्य राज्य सरकारों को नसीहत है यूपी बजट 2025-26

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यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में ‘जीरो पॉवर्टी-उत्तर प्रदेश अभियान’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ₹250 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित की है. इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश के निर्धनतम परिवारों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है.

 

उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपना बजट प्रस्तुत किया है. सामान्यतः राज्यों के बजट राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक चर्चा का विषय नहीं बनते, लेकिन हाल के वर्षों में राज्यों के वित्त को लेकर दो मुख्य कारणों से चर्चाएं बढ़ी हैं—पहला, उनका बढ़ता हुआ कर्ज और दूसरा, मुफ्त सुविधाओं (फ्रीबीज़) का बढ़ता प्रचलन. उत्तर प्रदेश का बजट अपने आकार में इतना विशाल है कि इस पर चर्चा आवश्यक हो जाती है. इस बार इसका आकार 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है. यदि राज्य की जीडीपी के आधार पर राजकोषीय घाटे की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए यह ₹91,399.80 करोड़ है, जो लगभग 3.5% के स्तर पर है.

उत्तर प्रदेश के बजट का विश्लेषण इस कारण से भी महत्वपूर्ण है कि जहां अधिकांश राज्य सरकारें वित्तीय संतुलन की अनदेखी करते हुए घाटे के बजट और मुफ्त सुविधाओं की ओर बढ़ रही हैं, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार इस प्रवृत्ति से सतर्कतापूर्वक दूरी बनाए हुए है. उदाहरणस्वरूप, हाल ही में प्रस्तुत राजस्थान सरकार के बजट में बिजली उपभोक्ताओं को 100 के बजाय 150 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की गई है. हालांकि, सरकार ने इसमें एक शर्त जोड़ी है कि यह सुविधा केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलेगी, जिन्होंने अपने घरों में सोलर पैनल स्थापित किए हैं. इसके विपरीत, यदि उत्तर प्रदेश के बजट पर ध्यान दें, तो इसकी चर्चा चार नए एक्सप्रेसवे, एआई सिटी, ‘जीरो पॉवर्टी-उत्तर प्रदेश अभियान’ और मॉडल सोलर सिटी जैसी घोषणाओं की वजह से अधिक है. वर्तमान समय में बजट की समीक्षा अक्सर इस आधार पर की जाती है कि जनता को क्या मुफ्त में मिला और किसको सरकार नकदी देगी. जबकि, आदर्श रूप में बजट का मूल्यांकन निवेश, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और भविष्य के विकास के रोडमैप आदि को केंद्र में रखकर किया जाना चाहिए. यदि उत्तर प्रदेश के बजट में सेक्टोरल आवंटन की बात करें तो पूंजीगत व्यय के लिए 20.5%, शिक्षा के लिए 13%, कृषि के लिए 11% और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 6% का प्रावधान किया गया है.

एक्सप्रेसवे से औद्योगिक विकास का मॉडल

उत्तर प्रदेश देश का एक लैंडलॉक राज्य है. इसके पास गुजरात, महाराष्ट्र जैसे समुद्री तट वाले राज्यों की भांति निर्यात आधारित आर्थिक प्रगति का साधन नहीं है. ऐसी परिस्थिति में, प्रदेश की आर्थिक वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक है—सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स की मजबूती. उत्तर प्रदेश ने पिछले 25 वर्षों में इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है. यमुना एक्सप्रेसवे, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि इस लैंडलॉक स्टेट की कनेक्टिविटी को और सशक्त बनाया जाए, जिससे माल ढुलाई का समय घटे और आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आए. 2025-26 के बजट में भी चार नए एक्सप्रेसवे के निर्माण का निर्णय लिया गया है. ये एक्सप्रेसवे प्रदेश के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ते हुए आर्थिक विकास को नया आयाम देंगे.

इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने की दिशा में भी ठोस प्रयास बजट में दिखाई पड़ते हैं. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के साथ डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना के लिए लगभग ₹461 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है, जिसमें ₹9,500 करोड़ के निवेश का अनुमान है.

नवाचार और पारंपरिक उद्योग—दोनों का समग्र विकास

आधुनिक औद्योगिक क्रांति के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब एक अनिवार्य आवश्यकता बन गई है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है, जहां इसकी उपयोगिता निरंतर न बढ़ रही हो. इस परिप्रेक्ष्य में, प्रत्येक राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके यहां एआई आधारित नवाचार और विकास की दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं. विशेष रूप से उन राज्यों के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है, जहां हैदराबाद, गुरुग्राम, बेंगलुरु और पुणे जैसी स्थापित आईटी शहर नहीं हैं.

यदि किसी राज्य को अब अपनी नई आईटी सिटी विकसित करनी है, तो उसके इकोसिस्टम को सशक्त बनाने के लिए एआई एक महत्वपूर्ण घटक होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के बजट में एआई सिटी के विकास हेतु ₹5 करोड़ की व्यवस्था की गई है. हालांकि, इस परियोजना के क्रियान्वयन की विस्तृत रूपरेखा अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह पहल उत्तर प्रदेश को तकनीकी नवाचार के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. यह एआई सिटी न केवल स्टार्टअप्स, इनक्यूबेशन सेंटर और रिसर्च हब के रूप में कार्य करेगी, बल्कि प्रदेश में कौशल विकास, रोजगार सृजन और डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी. हालांकि, इसके लिए यह राशि बहुत छोटी है और आगे और प्रयास होने चाहिए.

पारंपरिक उद्योगों के सशक्तिकरण की पहल

नवाचार के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश को पारंपरिक उद्योगों के संरक्षण और संवर्धन पर भी विशेष ध्यान देना होगा. इस बार हथकरघा और वस्त्रोद्योग के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण घोषणाएँ उल्लेखनीय हैं: पीएम मित्र योजना के अंतर्गत टेक्सटाइल पार्क की स्थापना हेतु ₹300 करोड़ की व्यवस्था की गई है. यह पार्क प्रदेश के वस्त्र उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान करेगा, जहाँ डिजाइनिंग, उत्पादन, और निर्यात जैसी गतिविधियाँ एक ही छत के नीचे संचालित होंगी. इससे प्रदेश के बुनकरों और हस्तशिल्पियों को अत्याधुनिक सुविधाएँ मिलेंगी, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होगी. इसके अलावा, अटल बिहारी वाजपेयी पॉवरलूम विद्युत फ्लैट रेट योजना के अंतर्गत पारंपरिक बुनकरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ₹400 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है. इस योजना के तहत, पांच किलोवाट तक के बिजली कनेक्शन वाले पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली उपलब्ध कराई जाएगी. इससे बुनकरों की उत्पादन लागत में कमी आएगी और वे अपने व्यवसाय को अधिक प्रतिस्पर्धी रूप में आगे बढ़ा सकेंगे.

‘जीरो पॉवर्टी अभियान’—गरीबी के खिलाफ एक प्रयास

यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में ‘जीरो पॉवर्टी-उत्तर प्रदेश अभियान’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ₹250 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित की है. इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश के निर्धनतम परिवारों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है. प्रदेश में उन गरीब परिवारों की पहचान की जा रही है, जो दैनिक मजदूरी पर निर्भर हैं और जिनके पास पक्के मकान, निश्चित आय स्रोत और आवश्यक सुविधाओं का अभाव है. इनके लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है, जिसका लक्ष्य 2025 के अंत तक इन परिवारों को गरीबी से उबारना है. इस अभियान के तहत मुख्य विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो प्रत्येक गांव में 20 से 25 निर्धनतम परिवारों का चयन करेंगे और उन्हें आवास, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जाएंगे. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्के मकान, राज्य आजीविका मिशन के तहत स्वरोजगार, ग्रामीण मनरेगा के अंतर्गत काम के अवसर और कौशल विकास मंत्रालय के माध्यम से प्रशिक्षण की सुविधा दी जाएगी.

अगर राज्य का बजट देखें तो एक बात स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश अभी फ्रीबीज़ से बचा हुआ है. उसका ध्यान पूंजीगत खर्च के माध्यम से आर्थिक वृद्धि पर केंद्रित है. बजट भले ही किसी लोकलुभावन घोषणा से दूर रहा हो, लेकिन वित्तीय अनुपालन के जरिए राज्य के लिए कुछ आवश्यक रोडमैप प्रदान करने में सफल रहा है.


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Vikrant Nirmala

Vikrant Nirmala, an esteemed alumnus of Banaras Hindu University (BHU), is the Founder and President of the Finance and Economics Think Council. Currently pursuing a PhD at the NIT, Rourkela, he is a distinguished thought scholar in the fields of finance and economics. Vikrant is contributing insightful articles to leading newspapers and prominent digital media platforms, showcasing his expertise in these domains.

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