आज़ाद हिंद फौज की विविधता में एकता की मिसाल से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए एकजुट होने की अपील। सशक्त और आत्मनिर्भर भारत ही नेताजी को सच्ची ‘कार्यांजलि’ होगी।
23 जनवरी 2025 को ओडिशा के कटक स्थित बाराबती किले में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर ‘पराक्रम दिवस’ का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन ने न केवल नेताजी की वीरता और उनके राष्ट्रवादी विचारों को श्रद्धांजलि दी बल्कि ओडिशा के साथ उनकी ऐतिहासिक संबंधों को भी रेखांकित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से नेताजी को नमन किया और उनके अद्वितीय राष्ट्रप्रेम और संघर्ष को याद किया।
प्रधानमंत्री ने नेताजी के जीवन संघर्ष की चर्चा करते हुए ‘आज़ाद हिंद’ के उनके संकल्प को दोहराया। उन्होंने आज़ाद हिंद फौज की विविधता में एकता की मिसाल को रेखांकित किया और पूरे देश से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि सशक्त और आत्मनिर्भर भारत ही नेताजी को सच्ची ‘कार्यांजलि’ होगी।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने किया राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण
समारोह के पहले दिन ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी ने नेताजी जन्मस्थली संग्रहालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने बाराबती किले में नेताजी के जीवन पर केंद्रित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में नेताजी के जीवन से जुड़े दुर्लभ चित्र, पुस्तकें, और ऐतिहासिक दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में नेताजी के साहस, त्याग और देशभक्ति को याद करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली। उन्होंने नेताजी की वीरता को सलाम करते हुए इंडियन नेशनल आर्मी (INA) के 99 वर्षीय वरिष्ठ सैनिक श्री आर. माधवन पिल्लई को सम्मानित किया, जिन्होंने स्वयं इस ऐतिहासिक आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और नेताजी के जीवन पर आधारित फिल्में आकर्षण का केंद्र
इस वर्ष के पराक्रम दिवस समारोह में ‘पुस्तक, चित्र और अभिलेखीय प्रदर्शनी’ का आयोजन किया गया, जिसमें नेताजी के जीवन से जुड़े दुर्लभ चित्र, पुस्तकें और ऐतिहासिक दस्तावेज शामिल किए गए। साथ ही, एक विशेष ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) डिस्प्ले भी लगाया गया, जिससे आगंतुक नेताजी के जीवन और उनके क्रांतिकारी संघर्ष को और गहराई से समझ सकें।
नेताजी की प्रतिमाओं के साथ-साथ उनकी भव्य रेत-प्रतिमा भी इस अवसर पर स्थापित की गई। इसके अतिरिक्त, 60 फीट लंबी चित्रकारी, जो उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती है, प्रदर्शनी का विशेष आकर्षण रही। ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने के लिए कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया गया। साथ ही, नेताजी के जीवन पर आधारित फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया, जिससे उपस्थित लोगों को नेताजी के संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान की गहरी जानकारी मिली।
जनता की उत्साहजनक भागीदारी को देखते हुए, पहले तीन दिन के लिए निर्धारित यह आयोजन अब एक दिन और बढ़ाकर 26 जनवरी 2025 तक कर दिया गया है। इस अवधि में आगंतुकों को नेताजी पर केंद्रित प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नाट्य प्रस्तुतियों और फिल्मों के माध्यम से नेताजी के अद्वितीय योगदान को और करीब से जानने का अवसर मिलेगा।
पराक्रम दिवस का यह भव्य आयोजन केवल नेताजी को श्रद्धांजलि देने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक प्रेरणास्रोत भी बना, जिसने देशवासियों को उनके आदर्शों पर चलने और ‘विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के साथ, यह दिवस भारत की नई पीढ़ी के लिए नेताजी की अमर विरासत को आत्मसात करने का अवसर बन गया।