उत्तरप्रदेश का धार्मिक पर्यटन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और आर्थिक शक्ति का प्रतीक बन गया है। ऐसे में जब हम वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज को एक दृष्टि में देखते हैं तो योगी का उत्तर प्रदेश भारत की सांस्कृतिक शक्ति का वैश्विक विस्तार करता दिखाई देता है।
लेखक – माधवेन्द्र प्रताप सिंह, विधायक, सबायजपुर, हरदोई, (उ.प्र.)
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में महाकुंभ 2025 एक ऐतिहासिक सफलता के रूप में उभरा है। महाकुंभ ने न केवल भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित किया, बल्कि यह उत्तर प्रदेश और देश की आर्थिक और बुनियादी ढांचे की प्रगति का भी प्रतीक बना। मोदी सरकार की दूरदर्शी नीति और योगी सरकार की कुशल प्रशासनिक रणनीति ने इसे एक वैश्विक आयोजन बना दिया। यह आयोजन केवल एक धार्मिक समागम नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और आर्थिक शक्ति का प्रतीक बन गया है। ऐसे में जब हम वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज को एक दृष्टि में देखते हैं तो योगी का उत्तर प्रदेश भारत की सांस्कृतिक शक्ति का वैश्विक विस्तार करता दिखाई देता है।
योगी का उत्तर प्रदेश: भारत के वैश्विक पर्यटन और सॉफ्ट पावर का नया केंद्र
उत्तर प्रदेश, जो कभी अपनी अव्यवस्थाओं और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता था, आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में भारत का एक नया वैश्विक पर्यटन और सांस्कृतिक शक्ति केंद्र बनता जा रहा है। न केवल धार्मिक पर्यटन बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारिस्थितिक पर्यटन को भी राज्य में नई ऊँचाइयाँ मिल रही हैं। योगी सरकार ने बीते वर्षों में पर्यटन विकास के क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जिससे उत्तर प्रदेश विश्व मानचित्र पर एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है।
महाकुंभ 2025 से 3 लाख करोड़ रुपये का योगदान
महाकुंभ 2025 के आयोजन पर कुल 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिसमें से केवल 1,500 करोड़ रुपये मेले की व्यवस्थाओं पर लगे, जबकि शेष राशि प्रयागराज के समग्र बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश की गई। इस निवेश के बदले में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 3 लाख करोड़ रुपये का योगदान मिला, जो पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसरों से संभव हुआ। इस बार के महाकुंभ में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु देश-विदेश से आए, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन बनाता है। योगी सरकार द्वारा किए गए बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों से पर्यटन उद्योग को नई ऊँचाइयाँ मिलीं। होटल, परिवहन, स्थानीय हस्तशिल्प और खाद्य उद्योग में लाखों लोगों को रोजगार मिला।
आंकड़ों में उत्तर प्रदेश का पर्यटन विकास
2023 में उत्तर प्रदेश में 32 करोड़ से अधिक घरेलू पर्यटकों का आगमन हुआ, जो भारत में सबसे अधिक है। इसी वर्ष विदेशी पर्यटकों की संख्या 40 लाख को पार कर गई थी जिससे राज्य की सॉफ्ट पावर को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली।
काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण के बाद वाराणसी में 2022-23 में पर्यटकों की संख्या 7 करोड़ पार कर गई, जिससे यह एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बन गया। 11 जनवरी से 11 फ़रवरी 2025 के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर में डेढ़ करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।इस दौरान हर दिन 7 से 8 लाख लोग दर्शन करने आए।
साल 2024 में अयोध्या उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक लोकप्रिय स्थल बन गया तथा अयोध्या में 13 करोड़ 55 लाख घरेलू पर्यटक और 3,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय आगंतुक पहुंचे। वहीं, 2025 के नए साल के पहले दिन ही करीब 10 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के बाद से अब तक करोड़ों लोग अयोध्या आ चुके हैं, जिससे यह वैश्विक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। राम मंदिर के उद्घाटन के साथ ही अयोध्या धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बन चुकी है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और सॉफ्ट पावर को भी सशक्त कर रही है।
महाकुंभ में 33 दिनों में 50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इतिहास में ये सबसे बड़ा आयोजन रिकॉर्ड किया गया। अमेरिका और चीन की कुल आबादी के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी के बराबर लोग प्रयागराज पहुंचे हैं।
पर्यटन क्षेत्र में इस अभूतपूर्व प्रगति के चलते उत्तर प्रदेश को 2023 में ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन राज्य’ के रूप में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
योगी सरकार के प्रमुख पर्यटन एवं सांस्कृतिक परियोजनाएँ
1. अयोध्या – वैश्विक रामनगरी की ओर कदम
अयोध्या को भारत की सांस्कृतिक राजधानी बनाने के लिए योगी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर कार्य किया है। शहर को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महार्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया गया, जिससे देश-विदेश के श्रद्धालु आसानी से अयोध्या पहुंच सकें। इसके अलावा, भव्य राम पथ, धर्म पथ और भक्ति पथ का निर्माण किया गया, जिससे मंदिर तक की यात्रा सुगम हो सके। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण कर इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। नगर के कायाकल्प और विकास को बढ़ावा देने के लिए 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का विकास किया गया, जिससे धार्मिक यात्राओं को अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके। साथ ही, रामायण सर्किट का विस्तार कर अयोध्या को भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
2. काशी का कायाकल्प – विश्व धरोहर का पुनरुद्धार
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के तहत मंदिर क्षेत्र का 5 लाख वर्ग फुट तक विस्तार किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को अधिक सुविधाएं मिल सकें और काशी की आध्यात्मिक महत्ता और अधिक बढ़ सके। इसके साथ ही, गंगा घाटों का पुनरुद्धार किया गया और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई गईं। देव दीपावली जैसे भव्य आयोजनों को वैश्विक पहचान दिलाई गई, जिससे काशी की सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई प्रतिष्ठा मिली। इसके अलावा, जी-20 सम्मेलनों के सफल आयोजन ने काशी को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया।
3. मथुरा-वृंदावन: कृष्ण जन्मभूमि को विश्व केंद्र बनाना
ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा 500 करोड़ से अधिक की योजनाओं के तहत वृंदावन, मथुरा और गोवर्धन में पर्यटन सुविधाओं का व्यापक विकास किया गया है। वृंदावन में यमुना नदी के किनारे स्थित प्रमुख पर्यटन स्थलों का पुनरुद्धार किया गया, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अधिक सुविधाएं मिल सकें। गिरिराज पर्वत परिक्रमा मार्ग का आधुनिक विकास किया गया, जिससे भक्तजन बिना किसी कठिनाई के अपनी आस्था से जुड़े इस पवित्र स्थल की परिक्रमा कर सकें। इसके अलावा, भगवान कृष्ण से जुड़े विभिन्न धार्मिक स्थलों पर आधुनिक सुविधाओं का निर्माण कर ब्रज क्षेत्र को एक विश्वस्तरीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
4. बौद्ध पर्यटन का विस्तार: कुशीनगर से सारनाथ तक
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को वैश्विक बौद्ध पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन से दक्षिण एशियाई देशों, विशेषकर बौद्ध अनुयायियों की बड़ी संख्या वाले जापान, थाईलैंड और श्रीलंका से सीधी कनेक्टिविटी सुनिश्चित हुई है। सारनाथ, श्रावस्ती, संकिसा और कौशांबी जैसे बौद्ध स्थलों पर विश्वस्तरीय पर्यटन सुविधाओं का विस्तार किया गया है, जिससे इन ऐतिहासिक स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, उत्तर प्रदेश बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बनकर उभर रहा है।
5. फिल्म सिटी: ग्लोबल एंटरटेनमेंट हब की ओर बढ़ता यूपी
फ़िल्में सांस्कृतिक राजदूत का कार्य करती हैं और दक्षिण कोरिया के फिल्मोद्योग इसका उदाहरण है। योगी सरकार उत्तर प्रदेश को फिल्म निर्माण और मनोरंजन उद्योग के नए केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए नोएडा में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी की स्थापना कर रही है। यह परियोजना 1,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में विकसित की जा रही है और इसे भारत की सबसे उन्नत एवं तकनीकी रूप से सुसज्जित फिल्म सिटी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस फिल्म सिटी में हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए अत्याधुनिक फिल्म स्टूडियो, पोस्ट-प्रोडक्शन सुविधाएं, डिजिटल इफेक्ट्स (VFX) लैब, और अंतरराष्ट्रीय स्तर की शूटिंग लोकेशन्स उपलब्ध कराई जाएंगी। यह न केवल भारतीय सिनेमा बल्कि विदेशी प्रोडक्शन हाउस के लिए भी एक प्रमुख शूटिंग स्थल के रूप में उभरेगा।
इसके अलावा, फिल्म सिटी में एक एक्टिंग स्कूल, फिल्म इंस्टीट्यूट, और अन्य सहायक उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे रोजगार के हजारों अवसर सृजित होंगे। यह परियोजना उत्तर प्रदेश को भारतीय मनोरंजन और सांस्कृतिक उद्योग के एक नए ग्लोबल हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
पर्यटन और सॉफ्ट पावर में उत्तर प्रदेश की वैश्विक छवि
उत्तर प्रदेश आज केवल पर्यटन का केंद्र नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का भी प्रमुख केंद्र बन चुका है। योगी सरकार के नेतृत्व में राज्य ने अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का बड़े पैमाने पर पुनरुद्धार किया है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में इसकी पहचान मजबूत हुई है। अयोध्या और काशी जैसे पवित्र स्थलों के पुनरुद्धार से भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूती मिली है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और राम मंदिर जैसे भव्य निर्माण कार्यों ने वैश्विक स्तर पर भारत की आध्यात्मिक धरोहर को पुनर्जीवित किया है, जिससे लाखों पर्यटक और श्रद्धालु हर साल इन स्थलों की यात्रा कर रहे हैं।
इसके अलावा, रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट ने भारत के दक्षिण एशियाई देशों जैसे नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, जापान, म्यांमार और कंबोडिया से सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को और मजबूत किया है। ये परियोजनाएं न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देती हैं बल्कि भारत की सॉफ्ट पावर को भी विश्व मंच पर सशक्त करती हैं। उत्तर प्रदेश के मेले, त्योहार और कुंभ जैसे भव्य आयोजन भारत की “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना को दर्शाते हैं। कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं, जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की गहराई को अनुभव करते हैं। इन आयोजनों ने उत्तर प्रदेश को विश्व स्तर पर आध्यात्मिक पर्यटन के सबसे बड़े केंद्रों में से एक बना दिया है।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश केवल पर्यटन ही नहीं बल्कि सॉफ्ट पावर का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी बन चुका है। धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का पुनरुद्धार, पर्यटन बुनियादी ढांचे का विकास, अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी, और वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक प्रचार उत्तर प्रदेश को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहा है। आने वाले वर्षों में, यह राज्य भारत की सांस्कृतिक शक्ति और वैश्विक पर्यटन का केंद्र बनने की पूरी क्षमता रखता है।
(लेखक, सबायजपुर विधानसभा, हरदोई, उ.प्र. से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं तथा यह इनके निजी विचार हैं।)